बिना मांगे नया कृषि कानून दे दिया , बिना मांगे SC ने समिति बना दी, ये कैसी मनमानी है ? : दर्शन सिंह

सिंघू बॉर्डर पर किसान नेताओं ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य सरकार समर्थक हैं। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित समिति के सदस्य विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि वे लिखते रहे हैं कि कृषि कानून किसानों के हित में है। हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
‘हमने समिति के गठन करने की मांग नहीं की’
किसान नेता ने कहा कि संगठनों ने कभी मांग नहीं की कि सुप्रीम कोर्ट कानून पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए समिति का गठन करे। किसानों ने आरोप लगाया कि इसके पीछे केंद्र सरकार का हाथ है। उन्होंने कहा कि हम सिद्धांत तौर पर समिति के खिलाफ हैं। प्रदर्शन से ध्यान भटकाने के लिए यह सरकार का तरीका है।
किसान नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर कृषि कानूनों को वापस ले सकता है एक अन्य किसान नेता दर्शन सिंह ने कहा कि वे किसी समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे। संसद को मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए और इसका समाधान करना चाहिए। हम कोई बाहरी समिति नहीं चाहते हैं।
15 जनवरी को अगले दौर की बैठक
बहरहाल, किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली बैठक में शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई चार सदस्यों की समिति में बीकेयू के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनावत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं।
आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। आज लोहड़ी पर तीनों कानूनों को जलाने का कार्यक्रम है, 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेने और 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस पर देशभर में राजभवन का घेराव करने का कार्यक्रम जारी रहेगा।
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन देशभर के किसान दिल्ली पहुंचकर शांतिपूर्ण तरीके से “किसान गणतंत्र परेड” आयोजित करेंगे।
वहीं केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारी इच्छा के विपरीत है क्योंकि हम कानून को लागू रखना चाहते हैं, लेकिन यह सर्वमान्य है।
चौधरी ने कहा कि एक निष्पक्ष समिति गठित की गई है, यह देश भर में सभी किसानों, विशेषज्ञों की राय लेने के बाद रिपोर्ट तैयार करेगी। 15 जनवरी को निर्धारित बैठक पर कहा कि सरकार बातचीत के लिये हमेशा तैयार, किसान संघों को यह तय करना है कि वो क्या चाहते हैं।