शीत लहर के कारण यूपी में 50 फीसदी बढ़ी शराब की बिक्री।

उत्तर प्रदेश में इस समय जमकर शीत लहर चल रही है और ऐसे में इसकी काट के लिए खूब जाम छलकाए जा रहे हैं। लोगों को सर्दी भगाने का यह सबसे आसान और किफायती तरीका लगता है।
इसके साथ ही बोनस में मौज भी। यही वजह है कि हर साल सर्दी के महीने में शराब की खपत बढ़ जाती है। इस साल तो यह खपत 50 फीसदी तक बढ़ गयी है, लेकिन क्या सही में शराब सर्दी भगाने में मदद करती है और शरीर पर इसका कोई बुरा असर नहीं पड़ता है?
इन दिनों शीतलहर के चलते शराब की बिक्री यूपी में जमकर बढ़ गई है। इस बारे में आबकारी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय भुसरेड्डी ने न्यूज़ 18 को बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल शराब का राजस्व पचास फीसदी ज्यादा आया है।
यानी शराब की खपत 50 फीसदी बढ़ी है। अंदाजा लगाइए लोग किस कदर सर्दी को काटने के लिए शराब का इस्तेमाल कर रहे हैं। जहां 100 बोतलें बिकती थीं, वहीं अब 150 बिकने लगी हैं। लेकिन यह भ्रम है कि शराब सर्दी भगाती है। उल्टा इस संदर्भ में भी इसका शरीर पर बुरा असर ही पड़ता है।
शराब दिमाग को सुस्त कर देती है
उत्तर प्रदेश के जाने माने मनोवैज्ञानिक और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के मानसिक रोग विभाग के हेड रह चुके डॉ. एससी तिवारी ने कहा कि शराब दिमाग को सुस्त कर देती है।
दिमाग का लेवल ऑफ एक्टिविटी थोड़ा कम हो जाता है। इससे दो चीजें होती हैं। पहली ये कि उसका वो व्यवहार सामने आ जाता है जो अक्सर दबा रहता है, क्योंकि दिमाग ये निर्णय करने में नाकाम हो जाता है कि क्या सही है और क्या गलत।
दूसरा ब्रेन एक्टिविटी कम होने से परिस्थितियों का एहसास कम होने लगता है। चाहे दर्द हो, सर्दी हो या फिर गर्मी हो, इन सभी चीजों का एहसास कम हो जाता है। वक्ती तौर पर तो राहत मिल जाती है लेकिन दिमाग के एक्टिव होने के साथ ही सब गायब हो जाता है। नुकसान ये है कि शराब ब्रेन की सेल्स को मारती है। ऐसे में क्षणिक राहत के लिए इतना बड़ा नुकसान नहीं उठाया जाना चाहिए।
अपने क्षेत्रीय और जनपदीय स्तर की सभी घटनाओ से जुड़े अपडेट पाने के लिए - सोशल मीडिया पर हमे लाइक, सब्सक्राइब और फॉलो करें -