नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून CAA के विरोध में देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली के शाहीन बाग़ में इस कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहीं मुस्लिम महिलाओं पर अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की नज़र है।
दरअसल शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भी भूमिका दिख चुकी है। इसी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने पीएफआई के 7 पदाधिकारियों समेत एक अन्य ग्रुप और एक एनजीओ को समन भेजा है।
पीएफआई को ये समन मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के संबंध में भेजा गया है. ईडी ने इन 7 लोगों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुधवार 29 जनवरी को अपने दफ्तर बुलाया है। अब कुल 7 लोगों को कल जामनगर हाउस ईडी ऑफिस में पूछताछ के लिए बुलाया गया।
बता दें कि पीएफआई के ज्यादातर दफ्तर शाहीन बाग में स्थित हैं। Shaheen bag- F-30 दिल्ली का PFI का हेड ऑफिस है, ये दफ्तर शाहीनबाग प्रदर्शन क्षेत्र से नजदीक है।
बता दें CAA प्रदर्शन में सामने आई पीएफआई की भूमिका के बाद ईडी की टीम मंगलवार को शाहीन बाग भी पहुंची थी। टीम नेपीएफआई और उससे जुड़े संगठनों के रजिस्टर्ड 9 दफ्तरों में जाकर वहां लिखित में नोटिस जारी किया और कई लोगों को पूछताछ के लिए भी बुलाया है।
हालांकि नोटिस देने के लिए जब ईडी की टीम दफ्तर पहुंची तो उन्हें जानकारी दी गई कि दफ्तर में केरल के कुछ लोग किराये पर रह रहे थे, ऐसे में ईडी को उनसे संबंधित जानकारी मुहैया करा दी गई है।
चूंकि पीएफआई से संबंधित सभी दफ्तर जामियानगर इलाके में ही हैं इसलिए ईडी इस बात की भी जांच कर रही है कि संगठन ने एक ही इलाके में इतने दफ्तर क्यों खोले है।
आपको बता दें ईडी को उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के केरल के संगठन पीएफआई के साथ आर्थिक तार जुड़े होने की जानकारी मिली थी। हालांकि इस दावे को संगठन ने बेबुनियाद बताकर खारिज कर दिया है।
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार 27 जनवरी को कहा कि पीएफआई की धनशोधन रोकथाम कानून के तहत 2018 से जांच कर रहे ईडी ने पता लगाया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में संगठन से जुड़े अनेक बैंक खातों में पिछले साल 4 दिसंबर से इस साल छह जनवरी के बीच कम से कम 1.04 करोड़ रुपये जमा किये गये।
इसी दौरान संसद में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न झेलने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के प्रावधान वाला विधेयक पारित किया गया।