- कपड़े से छानकर पी रहे कीचड़ का पानी
- राज्य के 358 में से 151 तहसील सूखे की चपेट में
महाराष्ट्र में 1972 से अब तक का सबसे भीषण सूखा पड़ा है। पानी की ऐसी कमी है कि गांवों में लोग कीचड़ जैसा गंदा पानी कपड़े से छानकर पीने को मजबूर हैं। राज्य की 358 तहसीलों में से 151 तहसील सूखा प्रभावित घोषित हुई हैं।
राज्यभर में 13 हजार से ज्यादा गांव-बस्तियों में संकट है। हालात इतने खराब हैं कि राज्य के जलाशयों में 14% पानी ही बचा है। अब यह भी इमरजेंसी स्तर पर पहुंच रहे हैं। 18 मई को राज्य के 26 बांधों में पानी का स्तर शून्य पर पहुंच चुका है।
पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 26% था। महाराष्ट्र ने सूखा प्रभावित जिलों के लिए कर्नाटक से तीन टीएमसी फीट पानी की मांग की है।
चारा छावनियों में प्रति जानवर 100 रु. का अनुदान प्रतिदिन देने की घोषणा की है। साथ ही 2011 की जनगणना के आंकड़ों के बजाय 2018 की आबादी के आंकड़ों को आधार बनाकर टैंकर्स के जरिये जलापूर्ति की जा रही है।
इधर देश के 91 मुख्य जलाशयों में मात्र 22% पानी, 6 राज्यों में संकट
सूखे का संकट देशभर में है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय देश के 91 मुख्य जलाशयों की निगरानी करता है। आयोग ने बताया है कि पानी का कुल भंडार 35.99 अरब घनमीटर ही बचा है, जो क्षमता का 22% ही है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में संकट ज्यादा है।
महाराष्ट्र के 4,331 गांव और 9,470 बस्तियों में 5,493 टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है। 67 लाख किसानों को नुकसान की भरपाई के तौर पर 4,412 करोड़ रुपए वितरित किए गए। लोगों को अपना रोजगार छोड़कर पानी जुटाने के लिए दिन-दिनभर कई किलोमीटर की मशक्कत करना पड़ रही है।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा बुरी स्थिति मराठवाड़ा की है। यहां के कई गांव अब खाली हो चुके हैं। लोग पलायन कर रहे हैं। जालना और उस्मानाबाद जिले में 20 दिन में एक बार पानी आ रहा है। लातूर में 10 दिनों में एक बार पानी मिल रहा है। गौरतलब है कि 2016 में यहां ट्रेन से पानी भेजना पड़ा था।
Content Dainik bhaskar